श्रीगुरुचरित्र १ ८ वा अध्याय (कथासारासहित ) ( Shrigurucharitra 18 Va Adhyay Kathasaara Sahit )

By: Dharmik Prakashan Sanstha (Author) | Publisher: Dharmik Prakashan Sanstha

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Description

गुरुचरित्र अध्याय 18 एक बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण अध्याय है। यह अध्याय हमें सिखाता है कि कैसे गुरु के आशीर्वाद से हम अपनी सभी मनोकामनाओं को पूरा कर सकते हैं। इस अध्याय में हमें कई कहानियां मिलती हैं जिनमें बताया गया है कि कैसे गुरु के भक्तों ने उनकी कृपा से अपनी सभी मनोकामनाओं को पूरा किया। हमें इस अध्याय को नियमित रूप से पढ़ना चाहिए और गुरु के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। इस अध्याय में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें गुरु के चरणों में समर्पण करना चाहिए। गुरु के चरणों में समर्पण करने का मतलब है कि हमें गुरु पर पूर्ण विश्वास करना चाहिए और उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए। जब हम गुरु के चरणों में समर्पण करते हैं, तो गुरु हमारी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

Details

Author: Dharmik Prakashan Sanstha | Publisher: Dharmik Prakashan Sanstha | Language: Marathi | Binding: Paperback | No of Pages: 32